रिश्तों की राजनीति- भाग 8
भाग 8
सान्वी और अक्षय की मुलाकातें धीरे-धीरे बढ़ने लगतीं हैं। सान्वी ने अक्षय के लिए अपने घरवालों से, सहेली रिया से झूठ बोलना शुरू कर कर दिया था। वो अक्सर कॉलेज खत्म होने के बाद पढ़ाई का बहाना बनाकर लाइब्रेरी में रुकने लगी थी। रिया को रोज़-रोज़ सान्वी का पढ़ने के लिए क्लासेस खत्म होने के बाद लाइब्रेरी में रुकना समझ नहीं आ रहा था।
उसने सीधा-सीधा सान्वी से पूछ लिया कि आखिर सान्वी के इतना पढ़ाकू होने के पीछे माजरा क्या है?
जब सान्वी जवाब देने में आनाकानी करने लगी तो रिया ने कहा….. अगर तू अक्षय जगताप पाटिल से मिलने के चक्कर में कॉलेज में रूकती है तो यह ठीक नहीं है सान्वी। वो बड़े बाप का बेटा है, कुछ दिन तेरे साथ घूमेगा-फिरेगा, अपना मतलब साधेगा और फिर तेरा इस्तेमाल करके छोड़ देगा।
सान्वी अक्षय के बारे में यह सब बातें सुनकर भड़क जाती है और गुस्से से कहती है…… तू उसे जानती ही कितना है, जो उसके बारे में इतना उल्टा सीधा बोल रही है। उसने तेरी तरफ ध्यान नहीं दिया, इसलिए तू जल रही है। मेरे निजी मामले में बोलने की जरूरत नहीं है।
रिया को विश्वास नहीं हो रहा था कि यह वही सान्वी है जिसके लिए अपने परिवार की इज्ज़त से ज़्यादा कभी कुछ और जरूर नहीं था, जिसकी जुबान नहीं खुलती थी लड़को के सामने , आज वो एक लड़के के लिए अपनी बचपन की दोस्त से बहस कर रही थी।
रिया ने भी गुस्से से कहा….मैं खुशकिस्मत हूँ कि उस अक्षय ने मुझ पर अपनी नज़र नहीं डाली। तुझे घूमना है उसके साथ घूम, मुझे अब इससे कुछ लेना देना नहीं है, लेकिन हाँ अगर अभिजीत दादा ने मुझसे तेरे लाइब्रेरी में रुकने वाली बात के बारे में पूछा तो मैं सच बता दूँगी और मेरा नाम लेकर उससे मिलने की जरूरत नहीं है। मैं नहीं चाहती तेरे चक्कर में मेरी बदनामी हो। आज से तू अपने रास्ते, मैं अपने रास्ते।
सान्वी रिया की बात सुनकर डर जाती है। उसे लगता है कहीं यह अक्षय और उसकी मुलाकातों के बारे में अभिजीत दादा को न बता दे, अगर उन्हें पता चल गया तो वो उसे जिन्दा नहीं छोड़ेंगे।
वो रिया के आगे रोते हुए कहती है…..प्लीज रिया, अभिजीत दादा को इस बारे में कुछ मत बताना, तुम्हें हमारी दोस्ती की कसम। अक्षय वैसा लड़का नहीं है, जैसा तुम समझ रही हो और वैसे भी हम सिर्फ दोस्त हैं। न उसने आइ लव यू कहा है मुझे और न ही मैंने।
तू ही बता अगर छिप कर न मिलूँ तो और क्या करूँ? अभिजीत दादा का स्वभाव तो तू जानती ही है कि वो कितने गुस्से वाले हैं। यहाँ कॉलेज में मैं अक्षय से खुलकर बात भी नहीं कर सकती दादा के डर से, बाहर मिलने के सिवा और कोई रास्ता ही कहाँ है मेरे पास। रिया जैसे तू मेरी दोस्त है, वैसे वो भी है, फर्क बस इतना है कि वो लड़का है।
रिया सान्वी की बात सुनकर थोड़ा नरम पड़ जाती है और कहती है….देख सान्वी तूने जो यह दलीलें दी हैं, उनमें कितनी सच्चाई है यह तुझसे बेहतर कौन जान सकता है। लेकिन सच कहूँ तो मुझे तेरी बातों पर विश्वास नहीं है। हमारी पुरानी दोस्ती के कारण यह बात मैं किसी से नहीं कहुँगी, लेकिन हाँ, तेरे इस मिलने-मिलाने के लिए मेरे नाम का झूठा इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
तभी सान्वी के फोन की घँटी बजने लगती है। वो फोन उठाकर कहती है…..आज मिलना सम्भव नहीं है, मेरी तबियत ठीक नहीं है, मैं घर जा रही हूँ। इतना कहकर वो झट से फोन काट देती है और रिया के साथ घर चली जाती है।
उसे घर जल्दी देखकर आई पूछती है….क्या हुआ आज एक्स्ट्रा पढ़ाई करने के लिए तू रुकी नहीं कॉलेज में, जल्दी आ गई?
हाँ आई, मेरे सिर में दर्द है, तबियत ठीक नहीं लग रही थी इसलिए घर आ गयी जल्दी।
अगले कुछ दिनों तक वो कॉलेज समय से आती है और जाती है। अक्षय से फोन पर बात करना और मैसेज भेजना भी बंद कर देती है। अक्षय को सान्वी का यह बदला हुआ रूप परेशान करने लगता है। वो कई बार उससे फोन पर बात करने की कोशिश करता है, लेकिन सान्वी उसकी हर कोशिश को नजरअंदाज करने लगती है। जहाँ लड़कियाँ उसके साथ वक़्त गुजारने के लिए तरसती थीं, वहीं सान्वी उसे नजरअंदाज कर रही थी। यह बात अक्षय को पागल कर रही थी।
उसने सान्वी को एक आखिरी बार मिलने के लिए कहा और वो उसकी इस बात को टाल नहीं पायी। वो एक ऐसी जगह पर मिले थे, जहाँ लोगों की ज्यादा भीड़ नहीं थी।
सान्वी इतनी खूबसूरत लग रही होती है कि अक्षय की नजरें उससे हट ही नहीं रही होती। वो मन ही मन सोचता है….इस खूबसूरत चेहरे का दीदार करने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ रहे हैं उसे।
तभी सान्वी कहती है… हाँ कहो अक्षय, तुम्हें क्या बात करनी है मुझसे?
यही कि तुम मुझे नजरअंदाज क्यों कर रही हो? ऐसी क्या गलती हो गयी मुझसे जो तुम मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर रही हो?
वो रिया और उसके बीच उस दिन हुई सारी बात अक्षय को बता देती है।
वो कहती है कि वो उससे दोस्ती निभाने के लिए अपने परिवार से झूठ नहीं बोल सकती।
ओह हो! तो तुमने उस रिया की बातों से डरकर मुझसे मिलना बन्द किया है।
बात रिया की नहीं है, मेरे परिवार की है।
वैसे भी गलती तुमसे नहीं, मुझसे हुई है अक्षय। तुम एक बहुत बड़े प्रभावशाली परिवार से हो और मैं एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से। हमारे बीच दोस्ती तो दूर, दोस्ती की बात भी अजीब सी लगती है।
तभी अक्षय सान्वी का हाथ पकड़ लेता है और कहता है…. सान्वी तुम मेरी सिर्फ दोस्त नहीं हो, बल्कि एक बहुत खास दोस्त हो। मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ सान्वी और भविष्य में तुमसे शादी करना चाहता हूँ। मैं तुम्हें अपने दिल के जज़्बात बताना नहीं चाहता था अभी क्योंकि यह सही समय नहीं है। अभी तुम फर्स्ट ईयर में हो कॉलेज के और मैं सेकंड ईयर के। हमें अभी पढ़ लिखकर जिंदगी में कुछ बनना है सान्वी।
मेरे कुछ बनते ही मैं तुम्हारे घर शादी की बात करने आऊँगा। आई लव यू सान्वी। हम रोज़ नहीं मिल सकते, ठीक है, लेकिन कभी-कभी तो मिल सकते हैं न? एक दूसरे को लाइब्रेरी में ही सही दूर से देखकर खुश तो हो सकते हैं न? बात नहीं कर सकते फोन पर, मैसेज तो कर सकते हैं न?
सान्वी अक्षय की बातें सुनकर पिघल जाती है और उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ रखकर कहती है….हाँ, जो तुम कह रहे हो, वो हम सब कर सकते हैं। आई लव यू अक्षय....
❤सोनिया जाधव
Rajeev pandey
01-Jun-2022 09:45 AM
👌👍
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Shnaya
31-May-2022 10:07 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Rahman
31-May-2022 06:08 PM
Osm
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